वर्टिगो स्पेशलिस्ट डॉ. महाबल शाह ने कहा : ‘कान की सामान्य समस्या से भी आ सकते हैं चक्कर‘
सामान्यतः जब हमारे आसपास की चीजें गोल-गोल घूमती हुई दिखाई देती हैं, तब हम कहते हैं कि चक्कर आ रहे हैं. वास्तव में ‘चक्कर आना’ यह शब्द व्यापक रूप में प्रयोग किया जाता है लेकिन इसके विभिन्न प्रकार हैं और उनके अनुसार ही इसके विभिन्न उपचार हैं. चक्कर आने के संबंध में मरीजों में नहीं बल्कि डॉक्टरों में भी कई गलतफहमियां व्याप्त हैं. अतः अनावश्यक दवाओं और फिजूल के खर्चीले उपचारों से बचने के
लिए. चक्कर आने के पीछे का सही कारण जानना बहुत जरूरी है. प्रसिद्ध वटिंगो स्पेशलिस्ट, डॉ.महाबल शाह ने हमारे प्रतिनिधि से बातचीत
करते हुए अपने विचार व्यक्त किए.
वर्टिगो‘ का वास्तविक अर्थ क्या है? लोगों में इस बीमारी का प्रसार कितना हुआ है?
डॉ. शाह- सामान्य लोग जिसे चक्कर आना कहते हैं, उसे अंग्रेजी में ‘बटिंगो’ कहा जाता है. अब यह समस्या सामान्य हो गई है और भारत में लगभग 1.80 लाख लोग इससे पीडित हैं. यह बीमारी 4-5 वर्ष के बालक से लेकर 85-90 के वृद्ध तक, किसी को भी हो सकती है
Q. ‘वर्टिगो’ अथवा चक्कर के कितने प्रकार होते हैं? इसके मुख्य लक्षण कौनसे हैं ?
डॉ. शाह- मुख्यत:जब अपने आसपास की चीजें गोले- गोल घूमती दिखाई पड़ती है, तो उसे दर्शाने के लिए ‘वर्टिनी’ शब्द का प्रयोग किया जाता है हालांकि संतुलन बिगड़ने, चलते-चलते लड़खड़ाने, आँखों के आगे अंधेरा छाने, सिर गोल-गोल घूमने, मूर्छा आने, मिर्गी (फिट), पैर काँपने सिर में झुनझुनी जैसा महसूस होने आदि को लोग व्यापक रूप में ‘चकर आना ही समझते हैं इसलिए यदि किसी को चकर आ रहे हैं तो यह जानना जरूरी है कि उसे वास्तव में क्या हो रहा है?
Q. वर्टिगो अथवा कर आने की समस्या सामान्यतः किन कारणों से होती है?
डॉ. शाह – कान के कैनाल (canal) में से कुछ कण (कैल्शियम कार्बोनेट) मुक्त होने के कारण अचानक यह समस्या उत्पन्न होती है. इस प्रकार के चकर लेते हुए. करवट बदलते हुए आते हैं जो आधे मिनट में ठीक हो जाते हैं ऐसे चकर, 1 दिन के विशेष उपचार से ठीक हो सकते हूँ मरीज ध्यान दें कि इसके लिए तत्परता से मस्तिष्क का एम.आर.आई. कराने जैसे अति खचींले उपायों की आवश्यकता नहीं होती. वेस्टब्युलर माइग्रेन की समस्या से ग्रस्त कुछ लोगों में चकर आकर, पित्त के कारण होने वाला सिरदर्द शुरू हो जाता है तो कुछ लोगों को केवल सिर घूमता हुआ महसूस होता है. मेनीयर्स (meniere’s) नामक विकार में रोगियों को बार बार चक्कर के अटैक आते हैं जो मिनट से 20 मिनट से एक घंटे तक जारी रह सकते हैं. कभी-कभी कानों से आवाज भी आती है. ऐसे रोगियों को मस्तिष्क के डॉक्टर के पास जाकर परीक्षण करना चाहिए कि कहीं उन्हें मस्तिष्क का लकवा तो नहीं हुआ.
Q. वर्टिगो की समस्या से पीड़ित लोगों को क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए?
डॉ. शाह – वर्टिंगो से ग्रस्त मरीजों के लिए सबसे आवश्यक चरण यह है कि कि वे स्व-परीक्षण द्वारा अपने लक्षण पता लगाएँ और विशेषज्ञ डॉक्टर से परीक्षण करवाकर उसके अनुसार ही उपचार करवाएं. कई बार चक्कर आने के पीछे के सही कारण का निदान न होने के कारण मरीज अकारण ‘विभिन्न स्पेशलिस्टों के ‘चक्कर’ लगाते रहते हैं और फिजूल ही हजारों रुपए खर्च करने के चक्रव्यूह में फँस जाते हैं विभिन्न तरह के ‘ट्रायल एंड एरर’ इलाज कराने के बाद भी फायदा न होने पर अंततः त्रस्त होकर लोगों को मनोचिकित्सक के ‘चक्कर ‘ लगाने पड़ते हैं. मेरे पास ऐसे कितने ही मरीज आते हैं, जो वर्टिगो की समस्या का सही निदान न होने के कारण सात-आठ वर्ष विभिन्न तरह के इलाज करवा कर 80,000 से 1,00,000 रु. तक खर्च करके त्रस्त हो चुके हैं लेकिन उनकी तबीयत में कोई नहीं पड़ा लेकिन मेरे पास आने के बाद 2 दिनों में ही उन्हें अपनी समस्या से छुटकारा मिल या अतः यदि अनावश्यक दवाओं और फिजूल के खचले को रोकना हो तो चक्कर आने की समस्या की शुरुआत होते ही सीधे वर्टिगो स्पेशलिस्ट से परामर्श ले
Q. वर्टिगो की बीमारी एवं उसके कारणों का विवेचन
किसी भी तरह के सिर चकराने को वटिंगो का नाम नहीं दिया जा सकता. इसके विभिन्न प्रकार होते हैं और उनके पीछे विभिन्न कारण होते हैं
- चक्कर आना कान की साधारण समस्या के कारण होता है
- बेहोशी / मूर्छा- छोटे बच्चों में थकान के कारण और वयस्कों में हृदय विकार के कारण
- संतुलन बिगड़ना- छोटे मस्तिष्क में लकवा होने के कारण
- पैर कांपना रक्त की आपूर्ति करने वाली बड़ी धमनी में ब्लॉक होने के कारण
- सिर में हल्कापन अथवा झुनझुनी महसूस होना मानसिक तनाव के कारण
चक्कर आने से संबंधित मुख्य गलतफहमियाँ
डॉ. शाह ने बताया कि किसी भी व्यक्ति को विभिन्न कारणों से चकर आ सकते हैं, इस संदर्भ में मरीजों में ही नहीं बल्कि डॉक्टरों में भी कुछ गलतफहमियों व्यास हैं अतः चकर आने के कारणों का सही निदान कर, व्यर्थ ही किए जा
रहे गलत उपचार से बचना चाहिए. लोगों में व्याप्त कुछ प्रमुख गलतफहमियाँ-
- लोगों में बड़ी गलतफहमी है कि चक्कर आना एक बीमारी है वास्तव में चक्कर आना, बीमारी का लक्षण होता है.
- गर्दन हिलाने पर जो चक्कर आते हैं. उसे स्पॉन्डिलाइटिस के कारण आने वाले चक्कर समझकर कई बार रोगियों को व्यर्थ में ‘ट्रैक्शन’ दिया जाता है, व्यर्थ ही एम. आर. आई कराया जाता है, जबकि वास्तव में ये चकर, कानों के पार्टिकल्स (बी.पी.पी.वी.) के कारण आते हैं.
- डॉक्टर और मरीजों में बड़ी गलतफहमी है कि जिन रोगियों को चकर आते हैं वे ‘वटिन’ एवं ‘स्टुजेरॉन’ की गोलियों के सेवन से ठीक हो सकते हैं.
- मस्तिष्क में रक्त प्रवाह कम होने के कारण चक्कर आते है ऐसा समझकर पकर आने की समस्या से त्रस्त सभी मरीजों को खून पतला करने की (एंटीप्लेटलेट) गोलियाँ दी जाती है वास्तव में इसके लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों की सलाह लेना अत्यंत आवश्यक होता है